Shayari
पुराना साल सबसे हो रहा है दूर..
क्या करे यही हैं कुदरत का दस्तूर..
बीती यादें सोच कर उदास ना हो तुम..
करो खुशियों के साथ नए साल को मंजूर..!
क्या करे यही हैं कुदरत का दस्तूर..
बीती यादें सोच कर उदास ना हो तुम..
करो खुशियों के साथ नए साल को मंजूर..!
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